Chandigarh News: पूर्व डीएसपी भोला को सशर्त जमानत मिली
ड्रग तस्करी मामले में 11.5 साल से जेल में बंद थे, हाईकोर्ट ने दी राहत;
Chandigarh News: पूर्व डीएसपी जगदीश सिंह भोला को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने लंबी सजा काटने और अपील की सुनवाई में देरी को देखते हुए सशर्त जमानत दी है। भोला 2013 से जेल में बंद थे और उन्हें 2019 में सीबीआई अदालत ने तीन एनडीपीएस मामलों में दोषी ठहराया था। 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में भी उन्हें सजा मिली थी। हाईकोर्ट ने कई शर्तों के साथ उन्हें अंतरिम राहत दी है।
अदालत से मिली राहत
पंजाब पुलिस से निलंबित पूर्व डीएसपी जगदीश सिंह भोला, जो ड्रग तस्करी से जुड़े चर्चित मामलों में दोषी करार दिए जा चुके हैं, को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश पारित किया है। मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमित गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश बुधवार को सुनाया।
Chandigarh News: 2013 से जेल में, 24 साल की सजा
भोला को 2019 में मोहाली स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत तीन मामलों में दोषी ठहराया था। उन्हें कुल 24 वर्षों की कठोर कारावास की सजा दी गई थी, जो एक साथ चल रही थी। इसके अलावा 2024 में उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के एक अन्य मामले में 10 वर्षों की अतिरिक्त सजा सुनाई गई थी।
हाईकोर्ट ने किन आधारों पर दी जमानत
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि भोला अब तक 11 साल छह महीने से ज्यादा समय जेल में बिता चुके हैं और उनकी अपील पर शीघ्र सुनवाई की संभावना नहीं है। इस आधार पर उन्हें जमानत दी गई है। अदालत ने जमानत के लिए पांच लाख रुपये के बॉन्ड और दो स्थानीय जमानतदारों की शर्त रखी है।
Chandigarh News: ये शर्तें होंगी पालन योग्य
- हर महीने नजदीकी पुलिस थाने में उपस्थिति देनी होगी
- पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा करना अनिवार्य
- यदि पासपोर्ट नहीं है या अवधि समाप्त है तो हलफनामा देना होगा
- 100 पेड़ लगाने की सामुदायिक सेवा करनी होगी
- 15 दिनों में इस सेवा की रिपोर्ट पेश करनी होगी
अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि इनमें से किसी भी शर्त का उल्लंघन हुआ तो जमानत रद्द कर दी जाएगी। यह भोला की दूसरी जमानत याचिका थी, जिसे उनकी अब तक की सजा को ध्यान में रखते हुए स्वीकार किया गया है।
आदेश की कॉपी का इंतजार
हालांकि खबर लिखे जाने तक हाईकोर्ट के आदेश की आधिकारिक कॉपी सार्वजनिक नहीं हुई थी। आदेश आने के बाद यह स्पष्ट हो सकेगा कि कोर्ट ने जमानत किन कानूनी बिंदुओं के आधार पर दी है।