Kangra Shimla Fourlane: अक्तूबर से हमीरपुर से कांगड़ा तक दौड़ेंगी गाड़ियां धड़ाधड़

जून में लगभग 35 किलोमीटर सेक्शन वाहनों के लिए खोले जाने की उम्मीद;

Update: 2025-04-11 01:26 GMT

Kangra Shimla Fourlane | हिमाचल की 'लाइफ लाइन' मानी जाने वाली कांगड़ा-शिमला फोरलेन परियोजना का काम रफ्तार पकड़ चुका है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने दो पैकेजों का कार्य अक्तूबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। हमीरपुर से कांगड़ा तक लगभग 62 किलोमीटर लंबा यह खंड आने वाले छह महीनों में पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा।

जून 2025 तक करीब 35 किलोमीटर फोरलेन को ट्रैफिक के लिए खोलने की योजना है। फिलहाल चीलबाहल से कांगड़ा के बीच कुछ हिस्सों में ही गाड़ियों की आवाजाही हो रही है, जबकि चीलबाहल से कोहली तक करीब 17 किलोमीटर सड़क अभी बंद है।

शिमला से कांगड़ा तक बनने वाले फोरलेन को पांच हिस्सों में बांटा गया है, जिनमें से दो पैकेजों पर तेजी से कार्य हो रहा है। इनमें से पैकेज 5B, जो कांगड़ा से भंगवार तक 18 किलोमीटर लंबा है, 96 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है और जून में ट्रैफिक के लिए खोला जाएगा।

वहीं भंगवार से चीलबाहल (हमीरपुर जिला) तक 37 किलोमीटर लंबी सड़क का काम अक्तूबर तक पूरा करने की योजना है। यहां अब तक 63 प्रतिशत कार्य संपन्न हो चुका है। चीलबाहल से कोहली तक के 17 किलोमीटर हिस्से का 75 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, जिसे जून तक खोले जाने की तैयारी है।

कोहली से आगे की स्थिति: Kangra Shimla Fourlane 

कोहली से भगेड़ (जिला बिलासपुर) तक 36 किलोमीटर फोरलेन का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है, लेकिन इसे मार्च 2026 से पहले शुरू करने की योजना है। भगेड़ से नौणीचौक तक 15 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है, जो कीरतपुर-नेरचौक रूट में आता है और यह ट्रैफिक के लिए खुला है।

नौणीचौक से भराड़ीघाट तक 17.5 किलोमीटर फोरलेन का काम इसी महीने शुरू होने वाला है, जबकि भराड़ीघाट से शिमला तक के 40 किलोमीटर हिस्से पर काम शुरू होने में अभी समय लगेगा।

घोषणा से लेकर अब तक का सफर: Kangra Shimla Fourlane 

शिमला-कांगड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग को फोरलेन में बदलने की घोषणा वर्ष 2016 में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा की गई थी। 224 किलोमीटर लंबी इस परियोजना का सर्वे मार्च 2017 में शुरू हुआ। फिजिबिलिटी स्टडी के बाद इसे पांच भागों में विभाजित किया गया।

हालांकि सर्वे दिसंबर 2019 तक चला, लेकिन निर्माण कार्य में 2022 के अंत तक ज्यादा प्रगति नहीं हो सकी। काम असल में 2023 के बाद गति पकड़ पाया। परियोजना के पूरा होने पर कुल दूरी घटकर 182 किलोमीटर रह जाएगी।

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