Kashmir Terrorism History: गृहमंत्री की बेटी का अपहरण और आतंकियों की रिहाई
1989 में हुई एक अपहरण की घटना ने भारत सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया और कश्मीर में आतंकवाद के अंधेरे युग की शुरुआत हुई;
Kashmir Terrorism History: 1989 में वीपी सिंह सरकार बनने के कुछ ही दिनों बाद भारत के तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का JKLF आतंकियों द्वारा अपहरण कर लिया गया। सरकार पर दबाव बना और अंततः पांच आतंकियों को रिहा कर रुबैया को वापस लाया गया। यह घटना कश्मीर में आतंकवाद के दौर की शुरुआत मानी जाती है, जिसने घाटी की दशा और दिशा दोनों बदल दी।
मुफ्ती मोहम्मद सईद: एक महत्वाकांक्षी नेता की कहानी
कश्मीर के बिजबेहड़ा से ताल्लुक रखने वाले मुफ्ती मोहम्मद सईद की पहचान एक तेज-तर्रार और महत्वाकांक्षी राजनेता के रूप में थी। अपने राजनीतिक सफर में उन्होंने कई बार पाला बदला और 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में भारत के पहले मुस्लिम गृह मंत्री बने।
Kashmir Terrorism History: अपहरण की साजिश: आतंकियों का आत्मविश्वास
8 दिसंबर 1989 को श्रीनगर के लाल डेड मेडिकल कॉलेज से लौटते समय रुबैया सईद को आतंकियों ने अगवा कर लिया। आतंकियों ने बस को हाईजैक कर पंपोर के नटिपोरा इलाके में ले जाकर रुबैया को एक नीली मारुति में बैठा दिया। वहां से उसे सोपोर के एक व्यवसायी के घर में छिपाया गया।
सरकार पर दबाव और आतंकियों की रिहाई
पांच दिन तक देशभर में चिंता का माहौल बना रहा। JKLF ने पांच आतंकियों की रिहाई की मांग की और सरकार आखिरकार झुक गई। 12 दिसंबर को पांच आतंकियों की रिहाई के कुछ ही घंटे बाद रुबैया को रिहा किया गया।
Kashmir Terrorism History: श्रीनगर की सड़कों पर जश्न और आतंक का जश्न
13 दिसंबर को श्रीनगर की गलियों में ‘आजादी’ के नारे गूंजे। रिहा हुए आतंकियों का स्वागत हीरो की तरह हुआ और इस घटना ने आतंकियों को ताकत का अहसास करा दिया। सरकार की कमजोरी से उनका मनोबल और बढ़ा।
कश्मीर में शुरू हुआ हिंसा और दहशत का सिलसिला
रुबैया कांड के बाद कश्मीर में विरोध, हत्याएं और अपहरण आम हो गए। सरकार ने सख्त कदम उठाए, लेकिन इनका असर कश्मीरी पंडितों पर भारी पड़ा और वे घाटी से पलायन करने लगे। पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग कैंप खुलने लगे और घाटी में खून-खराबा जारी रहा।
Kashmir Terrorism History: हत्या की घटनाएं और घाटी का डरावना मंजर
1990 में डॉ. मुशीर उल हक और उनके सचिव जारगर की हत्या, और फिर HMT के अधिकारी एचएल खेड़ा की निर्मम हत्या ने घाटी को पूरी तरह दहला दिया। ISI की भूमिका पर भी शक जताया गया।