Lawrence Bishnoi Interview: हाईकोर्ट सख्त, पंजाब पुलिस से मांगी रिपोर्ट

टीवी इंटरव्यू मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जताई गंभीर चिंता, सुरक्षा इंतजामों और अधिकारियों की भूमिका पर मांगा जवाब;

Update: 2025-06-07 11:07 GMT

Lawrence Bishnoi Interview: गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई द्वारा हिरासत में दिए गए टीवी इंटरव्यू को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने पंजाब पुलिस से विस्तृत सुरक्षा रिपोर्ट और मुलाकात करने वालों की जानकारी तलब की है। यह आदेश याचिकाकर्ता गुरशेर सिंह संधू की ओर से दाखिल याचिका पर जारी हुआ, जिन्होंने एफआईआर की वैधता को चुनौती दी है।

हाईकोर्ट ने मांगी सुरक्षा व्यवस्था की रिपोर्ट

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने लॉरेंस बिश्नोई के हिरासत में रहते एक टीवी चैनल को इंटरव्यू देने की घटना पर संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस दौरान की गई सुरक्षा व्यवस्था, अधिकारियों की भूमिका और उनसे मिलने वालों की विस्तृत जानकारी देने का निर्देश पंजाब पुलिस को दिया है।

Lawrence Bishnoi Interview: गुरशेर सिंह संधू ने एफआईआर को बताया अवैध

यह निर्देश गुरशेर सिंह संधू द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान आया। संधू ने अपनी याचिका में 5 जनवरी 2024 को पंजाब स्टेट क्राइम पुलिस स्टेशन (फेज-4, एसएएस नगर) में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी है। उन्होंने कोर्ट से एफआईआर से संबंधित सभी दस्तावेज, केस डायरी, पत्राचार और नामांकन सामग्री तलब करने की मांग की है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उन्हें इस मामले में क्यों और कैसे नामित किया गया।

जांच टीम के नोटिसों को भी दी चुनौती

संधू ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रोविजनिंग) और एसआईटी के सदस्य द्वारा 21 और 23 मई को जारी दो नोटिसों को भी अवैध करार दिया है। उनके अनुसार, यह नोटिस भारतीय विधि के तहत अमान्य हैं और ये सुप्रीम कोर्ट में लंबित प्रक्रिया के दौरान जारी किए गए हैं, जो न्यायिक प्रक्रिया की मूल भावना के विरुद्ध हैं।

Lawrence Bishnoi Interview: कोर्ट से मांगी राहत और कार्रवाई पर रोक

संधू ने हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि इन नोटिसों को तुरंत रद्द किया जाए और राज्य सरकार व पुलिस को उनके खिलाफ किसी भी तरह की जबरदस्ती या दंडात्मक कार्रवाई से रोका जाए। उन्होंने अंतरिम राहत के तहत एफआईआर पर आधारित समस्त कार्यवाही और नोटिसों की वैधता पर रोक लगाने की भी मांग की है, जब तक कि कोर्ट इस याचिका पर अंतिम निर्णय नहीं देता।

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