S-400 air defense system: भारत में सफल, रूस में क्यों विफल S-400?

भारत ने S-400 से पाकिस्तान के हमले रोके, पर रूस यूक्रेन के ड्रोन अटैक से क्यों हार रहा है?;

Update: 2025-06-02 07:14 GMT

S-400 air defense system: S-400 को दुनिया की सबसे आधुनिक एयर डिफेंस प्रणालियों में से एक माना जाता है. भारत ने इस सिस्टम का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोन हमलों को नाकाम कर दिखाया, वहीं रूस, जो इस सिस्टम का निर्माता है, यूक्रेन के हमलों से खुद को नहीं बचा पाया. आखिर ऐसा क्यों हुआ? भारत की सफलता और रूस की विफलता के पीछे रणनीति, तैनाती और तकनीकी उपयोग में फर्क अहम कारण हैं.

भारत ने S-400 से कैसे पाकिस्तानी हमलों को नाकाम किया?

मई 2025 में पाकिस्तान ने जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, लुधियाना और भुज जैसे शहरों को ड्रोन और मिसाइल हमलों का निशाना बनाया. भारतीय वायुसेना ने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल कर इन सभी हमलों को प्रभावशाली तरीके से रोक दिया. इस सिस्टम ने 50 से ज्यादा पाकिस्तानी ड्रोनों और मिसाइलों को न केवल ट्रैक किया, बल्कि उन्हें हवा में ही नष्ट कर दिया.

भारत ने S-400 को जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में तैनात कर रखा है. यह सिस्टम 600 किलोमीटर दूर तक टारगेट को ट्रैक करने और 400 किलोमीटर तक हमला करने में सक्षम है. भारत ने इस सिस्टम को अपनी जरूरतों के अनुसार कस्टमाइज़ भी किया है, जिससे इसकी क्षमता और अधिक बढ़ गई है.

S-400 air defense system: रूस में S-400 की विफलता: बार-बार बने हमलों का शिकार

जहां भारत ने S-400 से जबरदस्त रक्षा की, वहीं रूस, जो इस सिस्टम का निर्माता है, यूक्रेन के ड्रोन और मिसाइल अटैक्स को बार-बार रोकने में असफल रहा. यूक्रेन ने पिछले कुछ वर्षों में रूस के कई S-400 सिस्टमों को टारगेट किया और सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया.

प्रमुख उदाहरण:

  • अगस्त 2023: क्रीमिया में यूक्रेन ने R-360 नेपच्यून मिसाइल और ड्रोन के जरिये S-400 बैटरी को खत्म किया.
  • अक्टूबर 2023: बेर्दियान्स्क और लुहान्स्क में S-400 सिस्टम को विशेष बलों ने तबाह किया.
  • अप्रैल 2024: ATACMS मिसाइलों से क्रीमिया में चार लॉन्चर, तीन रडार और एक निगरानी प्रणाली को नष्ट किया.
  • जनवरी 2025: HIMARS मिसाइल से 96L6E रडार नष्ट हुआ.

अब तक यूक्रेन ने कम से कम 31 S-400 सिस्टम नष्ट या बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिए हैं.

रूस में S-400 फेल क्यों हुआ?

1. गलत तैनाती

रूस ने S-400 को बिना छोटे और मध्यम दूरी की सुरक्षा प्रणालियों के तैनात किया. नतीजतन, कम ऊंचाई से आने वाले ड्रोनों को ये सिस्टम नहीं पकड़ सका.

2. यूक्रेन की स्मार्ट रणनीति

यूक्रेन ने पहले ड्रोन से रडार और संचार तंत्र को निशाना बनाया, फिर मिसाइलों से हमला किया. ये संयुक्त रणनीति रूसी डिफेंस को तोड़ने में सफल रही.

3. इलेक्ट्रॉनिक जामिंग

यूक्रेनी सेना ने इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर का उपयोग करते हुए S-400 के रडार को जाम कर दिया, जिससे ये लक्ष्य पहचान नहीं सका.

4. ड्रोनों की बड़ी संख्या

यूक्रेन ने एक साथ सैकड़ों सस्ते ड्रोनों का उपयोग किया, जिससे S-400 की क्षमता पर बोझ बढ़ गया और वह पूरी तरह से जवाब नहीं दे सका.

5. सावधानी की कमी

रूस ने सिस्टम की सुरक्षा के लिए न तो कैमोफ्लाज किया, न ही फर्जी सिस्टम या लोकेशन बदलने जैसी ट्रिक्स अपनाईं. इसके चलते यूक्रेन को S-400 की लोकेशन का आसानी से पता चलता रहा.

S-400 air defense system: भारत की रणनीतिक सफलता के कारण

1. स्थानीय तकनीक के साथ अपग्रेड

भारत ने S-400 को अपनी जरूरतों के अनुसार तकनीकी रूप से मॉडिफाई किया.

2. मल्टी लेयर डिफेंस नेटवर्क

S-400 के साथ-साथ छोटी दूरी की मिसाइल प्रणालियां भी तैनात की गईं, जो नीचे उड़ते ड्रोनों को आसानी से रोक सकें.

3. बेहतर प्रशिक्षण और प्लानिंग

भारतीय वायुसेना के ऑपरेटरों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया और सिस्टम को रणनीतिक जगहों पर तैनात किया गया.

4. कम संख्या वाले हमले

भारत ने सीमित संख्या में आए ड्रोनों और मिसाइलों से निपटना था, जबकि रूस पर एक साथ सैकड़ों ड्रोन हमले हुए.

क्या S-400 अब अविश्वसनीय है?

S-400 अभी भी एक खतरनाक और शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम है. लेकिन इसे प्रभावी बनाने के लिए सही तैनाती, मल्टी-लेयर सुरक्षा और सटीक रणनीति जरूरी है. रूस ने इस दिशा में लापरवाही की, जबकि भारत ने तकनीकी और रणनीतिक रूप से S-400 का बेहतर उपयोग किया.

1 जून 2025 को हुए हमले में यूक्रेन ने रूस के शहरों में ट्रकों के जरिये ड्रोनों को लॉन्च किया. ये ड्रोन जमीन के बेहद करीब उड़ते हुए आए, जिसे S-400 ट्रैक नहीं कर पाया. क्योंकि यह सिस्टम हवा से आने वाले खतरे को ट्रैक करता है, जमीन से छिपकर आए अटैक को नहीं.

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