
China Russia Moon Base: चीन-रूस बनाएंगे चंद्रमा पर न्यूक्लियर प्लांट, अमेरिका दौड़ में पीछे?

China Russia Moon Base: चीन और रूस ने मिलकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक स्थायी परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने का फैसला किया है, जो 2036 तक बनकर तैयार होगा। यह संयंत्र इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन (ILRS) को ऊर्जा प्रदान करेगा। वहीं अमेरिका की चंद्र योजनाएं वित्तीय संकट और नीतिगत बदलावों की वजह से धीमी पड़ गई हैं, जिससे वैश्विक अंतरिक्ष होड़ में नया मोड़ आ गया है।
चीन-रूस की बड़ी साझेदारी: चंद्रमा पर न्यूक्लियर प्लांट का प्लान
चीन और रूस ने हाल ही में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत वे चंद्रमा पर एक परमाणु ऊर्जा आधारित संयंत्र स्थापित करेंगे। यह संयंत्र उनके संयुक्त रूप से प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (ILRS) को ऊर्जा देगा, जिससे भविष्य में चंद्रमा पर दीर्घकालिक मिशन संभव हो सकेगा।
China Russia Moon Base: बिना इंसानी मौजूदगी के होगा निर्माण
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव ने कहा है कि इस संयंत्र का निर्माण स्वचालित तकनीक से किया जाएगा, बिना किसी मानव की मौजूदगी के। उन्होंने यह भी बताया कि तकनीकी स्तर पर तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं।
टाइमलाइन: 2036 तक पूरा होगा प्रोजेक्ट
इस परियोजना का निर्माण 2030 से 2035 के बीच शुरू होगा और 2036 तक पूर्ण रूप से तैयार हो जाएगा। ILRS की शुरुआत 2028 में चीन के चांग-ई-8 मिशन से होगी, जो भविष्य में इंसानों को चंद्रमा पर उतारने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
China Russia Moon Base: ILRS: वैश्विक सहयोग से संचालित अंतरिक्ष केंद्र
ILRS एक बहुपक्षीय चंद्र अनुसंधान परियोजना है, जिसमें अब तक 17 देश शामिल हो चुके हैं – जैसे मिस्र, पाकिस्तान, थाईलैंड, वेनेजुएला और दक्षिण अफ्रीका। इस स्टेशन का लक्ष्य वैज्ञानिक अनुसंधान, दीर्घकालिक मानव रहित मिशन और भविष्य के मंगल अभियानों के लिए आधार तैयार करना है।
ILRS की खासियतें:
- ऊर्जा स्रोत: सौर, रेडियो आइसोटोप और परमाणु जनरेटर
- हाई-स्पीड संचार नेटवर्क
- मानवयुक्त और स्वचालित चंद्र वाहन
- भूमध्य रेखा और दूरदराज के क्षेत्रों में अनुसंधान नोड्स
China Russia Moon Base: चीन की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएं
चीन ने 2013 से अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाया है। चांग-ई मिशनों के माध्यम से उसने चंद्रमा के दोनों हिस्सों से सैंपल इकट्ठे किए हैं और वहां रोवर उतारे हैं। अब उसका लक्ष्य 2030 तक इंसान को चंद्रमा पर भेजने का है, और 2050 तक ILRS को एक विस्तृत नेटवर्क में बदलना है।
अमेरिका की योजना कमजोर क्यों पड़ रही है?
चीन-रूस की इस पहल के विपरीत, अमेरिका के आर्टेमिस मिशन को बजट कटौतियों और देरी का सामना करना पड़ रहा है। नासा ने हाल ही में लूनर गेटवे स्टेशन के निर्माण की योजना को रद्द कर दिया है, और 2026 के प्रस्तावित बजट में 24% कटौती की गई है। इससे अमेरिका की चंद्र महत्वाकांक्षाओं को झटका लगा है।
China Russia Moon Base: अमेरिका बनाम चीन-रूस: क्या बदलेगा संतुलन?
जहां चीन और रूस अपनी तकनीकी क्षमताओं और वैश्विक सहयोग के सहारे तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, वहीं अमेरिका राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों के बीच संघर्ष कर रहा है। इससे अंतरिक्ष में वैश्विक नेतृत्व का संतुलन बदल सकता है।
भारत की स्थिति
भारत की ओर से अभी तक इस परियोजना में कोई आधिकारिक भागीदारी नहीं हुई है, लेकिन भविष्य में वह ILRS या आर्टेमिस जैसी योजनाओं में अपनी भूमिका निभा सकता है।
China Russia Moon Base: वैज्ञानिक और रणनीतिक असर
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से: चंद्रमा की सतह, खनिज और पर्यावरण के बारे में नई जानकारी मिलेगी।
- रणनीतिक दृष्टिकोण से: चीन-रूस को अंतरिक्ष में नेतृत्व और भविष्य के मंगल अभियानों के लिए मजबूत आधार मिलेगा।
Chavi Sharma
Chavi Sharma is a senior content writer at Hindustan Reality with over 13 years of experience in content creation, blogging, and digital storytelling. Passionate about accurate and impactful journalism, she now brings her expertise to news writing — covering the latest updates from Himachal Pradesh with clarity and responsibility.