Sirmaur Today News: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पावन तीर्थस्थल श्रीरेणुकाजी में भगवान परशुराम के प्राचीन मंदिर का भव्य रूप में निर्माण कार्य चल रहा है। ग्रामीणों के सहयोग और श्रद्धालुओं के श्रमदान से यह मंदिर करीब एक करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है।
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देवभूमि हिमाचल में भगवान परशुराम को अजर-अमर अवतार के रूप में पूजा जाता है। सिरमौर जिले में स्थित श्रीरेणुकाजी तीर्थ क्षेत्र में भगवान परशुराम के प्रति गहरी आस्था देखने को मिलती है। खास तौर पर जामूकोटी गांव में स्थित उनकी प्राचीन देवठी (मंदिर) का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है।
बताया जाता है कि भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि और माता श्रीरेणुका जी ने सतयुग में इसी क्षेत्र के तपोस्थल पर कठोर तपस्या की थी। आज भी ऋषि का धूना वहां मौजूद है, जो इस पवित्र स्थान की प्राचीनता का प्रमाण है।
हर साल अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम की चांदी की पालकी श्रीरेणुकाजी के मेले में पहुंचती है, जो मां और पुत्र के पावन मिलन का प्रतीक मानी जाती है।
पुनर्निर्माण में जुटे ग्रामीण: Sirmaur Today News
लंबे समय से उपेक्षित इस देवठी के जीर्णोद्धार का कार्य अब स्थानीय ग्रामीणों द्वारा शुरू कर दिया गया है। जामूभोज के लोग मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए न सिर्फ आर्थिक योगदान दे रहे हैं, बल्कि श्रमदान कर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।
हाल ही में संक्रांति के शुभ अवसर पर मंदिर के मुख्य द्वार का विधिवत उद्घाटन भी किया गया। परशुराम सेवा दल के अध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर और जोगेंद्र ठाकुर ने बताया कि पहले केवल मरम्मत का विचार था, लेकिन अब देवकृपा से मंदिर को नया भव्य रूप दिया जा रहा है।
हिमाचली वास्तुकला में बनेगा भव्य मंदिर
अब इस मंदिर को पारंपरिक हिमाचली शैली में लकड़ी और पत्थर की नक्काशी से तैयार किया जा रहा है। मंदिर को पांच मंजिला भवन के रूप में निर्मित किया जा रहा है।
इस कार्य में गांव के लोगों द्वारा श्रमदान, निर्माण सामग्री दान और आर्थिक सहयोग मिलाकर लगभग 1 करोड़ रुपये की लागत से मंदिर निर्माण तेजी से आगे बढ़ रहा है।