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भारत

CDS Anil Chauhan News: भविष्य की लड़ाई: नॉन-कॉन्टैक्ट वॉर का युग

Chavi Sharma
2 Jun 2025 3:58 PM IST
CDS Anil Chauhan News: भविष्य की लड़ाई: नॉन-कॉन्टैक्ट वॉर का युग
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CDS अनिल चौहान का बड़ा बयान – आधुनिक युद्धों में आमने-सामने की लड़ाई नहीं होगी, बल्कि तकनीक से लड़ी जाएगी जंग

CDS Anil Chauhan News: भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि आने वाले समय में युद्ध की रूपरेखा पूरी तरह बदल जाएगी। अब युद्ध मैदान में आमने-सामने नहीं लड़े जाएंगे, बल्कि नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर की भूमिका अहम होगी। इसमें साइबर अटैक, ड्रोन हमले, इलेक्ट्रॉनिक इंटरफेरेंस और सूचना युद्ध जैसी तकनीकें प्रमुख होंगी।

आधुनिक युद्ध की ओर बढ़ता भारत: CDS का बड़ा बयान

CDS अनिल चौहान ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में कहा कि अब जंगें वैसी नहीं होंगी जैसी पहले लड़ी जाती थीं। भविष्य में सेनाएं आमने-सामने नहीं होंगी, लेकिन संघर्ष होगा और नुकसान भी। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने आकाश मिसाइल प्रणाली और देशी-विदेशी रडारों की मदद से सफलतापूर्वक रक्षा की।

CDS Anil Chauhan News: क्या होता है नॉन-कॉन्टैक्ट वॉर?

नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर (Non-Contact Warfare) वह रणनीति है जिसमें दुश्मन से सीधे भिड़ंत के बजाय तकनीक, साइबर शक्ति और रिमोट हथियारों का इस्तेमाल होता है। इसमें परंपरागत मोर्चों से इतर जंग लड़ी जाती है – जैसे ड्रोन अटैक, साइबर अटैक, प्रोपेगेंडा और मानसिक दबाव।

नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर की प्रमुख विशेषताएं:

  • प्रत्यक्ष भिड़ंत का अभाव – सैनिक आमने-सामने नहीं आते।
  • तकनीकी आधारित हमला – मिसाइल, ड्रोन, रडार जाम करने वाली तकनीकें।
  • मानसिक युद्ध – अफवाहें और गलत सूचना के जरिए मानसिक दबाव।
  • साइबर अटैक – नेटवर्क, संचार और इन्फ्रास्ट्रक्चर को टारगेट करना।
  • इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर – सिग्नलों और तकनीकी उपकरणों को बाधित करना।
  • सूचना नियंत्रण – सोशल मीडिया, खबरों और प्रचार के माध्यम से प्रभाव।

ऐसे युद्धों के कुछ हालिया उदाहरण:

  • ड्रोन स्ट्राइक: अमेरिका द्वारा पाकिस्तान-अफगानिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमले।
  • साइबर हस्तक्षेप: रूस पर दूसरे देशों के चुनावों में साइबर दखल का आरोप।
  • सूचना युद्ध: सोशल मीडिया पर झूठी खबरें और भ्रम फैलाने वाले फर्जी अकाउंट्स।

नॉन-कॉन्टैक्ट वॉर के फायदे:

  • सैनिकों को बिना मैदान में उतारे दुश्मन को नुकसान पहुँचाना।
  • जंग को अधिक लक्षित और रणनीतिक बनाना।
  • कम संसाधनों में अधिक प्रभावी हमला संभव।

इस युद्ध प्रणाली की चुनौतियां:

  • नैतिक और कानूनी विवाद खड़े होते हैं।
  • आम जनता भी असर की चपेट में आ सकती है, जैसे साइबर हमलों से बिजली या संचार बाधित होना।
  • तकनीक के अत्यधिक उपयोग से जवाबी साइबर हमले का खतरा।

CDS Anil Chauhan News: हाइब्रिड वारफेयर और ढाई मोर्चे की थ्योरी

पूर्व CDS जनरल बिपिन रावत ने ‘ढाई मोर्चे की जंग’ का विचार दिया था – पहला मोर्चा चीन, दूसरा पाकिस्तान और आधा मोर्चा देश की आंतरिक सुरक्षा। बीते वर्षों में हाइब्रिड वॉरफेयर में तकनीक और प्रोपेगेंडा का समावेश देखा गया है, जो अब नॉन-कॉन्टैक्ट वॉर का नया रूप बन गया है।

Chavi Sharma

Chavi Sharma

Chavi Sharma is a senior content writer at Hindustan Reality with over 13 years of experience in content creation, blogging, and digital storytelling. Passionate about accurate and impactful journalism, she now brings her expertise to news writing — covering the latest updates from Himachal Pradesh with clarity and responsibility.

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