Hindustan Reality

Wednesday, 27 August, 2025

Caste Census India: जाति जनगणना के बाद बदल जाएगी राजनीति की दिशा

Caste Census India: भारत में पहली बार जनगणना के दौरान जाति से जुड़ा कॉलम जोड़ा जा रहा है। इस फैसले के बाद देश में आरक्षण और सामाजिक योजनाओं को लेकर नई बहस शुरू हो सकती है। कांग्रेस ने आरक्षण की 50% सीमा हटाने की मांग की है। वहीं, कोटे के अंदर सब-कोटा की बात भी जोर पकड़ सकती है। इससे ओपन कैटेगरी की सीटों पर असर पड़ने की संभावना है।

जाति आधारित जनगणना का ऐलान

हाल ही में हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में भारत सरकार ने जनगणना में जातिगत कॉलम जोड़ने का निर्णय लिया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी घोषणा की थी। अब जब जनगणना होगी, तो सरकारी कर्मचारी लगभग 30 सवालों के साथ घर-घर जाकर जानकारी इकट्ठा करेंगे, जिसमें यह भी पूछा जाएगा कि व्यक्ति किस जाति से संबंध रखता है। अब तक केवल धर्म या सामाजिक वर्ग की जानकारी ली जाती थी, लेकिन यह पहली बार होगा जब जाति से जुड़ा डेटा आधिकारिक रूप से संकलित किया जाएगा। इसका उद्देश्य सामाजिक योजनाओं को और अधिक सटीक बनाना है।

Caste Census India: आरक्षण की सीमा 50% से अधिक करने की मांग हो सकती है

जातियों की वास्तविक संख्या सामने आने के बाद सबसे बड़ी बहस आरक्षण की सीमा को लेकर छिड़ सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी केस में आरक्षण को 50% तक सीमित रखने का निर्देश दिया था। लेकिन अब ओबीसी, एससी और एसटी की कुल आबादी अगर 70% के करीब निकलती है तो आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग फिर से तेज हो सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पहले ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यह मुद्दा उठाया है।

कोटे में कोटा यानी सब-कोटा की राजनीति हो सकती है तेज

जातिगत डेटा आने के बाद कोटे के भीतर उप-कोटा की मांग भी ज़ोर पकड़ सकती है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण को वैध बताया है। इसके बाद हरियाणा सरकार ने एससी कोटे में वर्गीकरण कर आरक्षण लागू कर दिया। इससे यह संकेत मिलता है कि जातिगत आधार पर और अधिक वर्गीकरण की दिशा में कदम बढ़ सकते हैं। कर्नाटक सरकार ने भी एससी वर्ग की उप-जातियों की गणना शुरू कर दी है।

Caste Census India: ओपन कैटेगरी के लिए कितनी सीटें बचेंगी?

अगर आरक्षण की सीमा बढ़ाई जाती है, तो एक अहम सवाल यह होगा कि सामान्य वर्ग (ओपन कैटेगरी) के लिए कितनी सीटें बचेंगी। पहले ही 10% सीटें EWS कोटा के अंतर्गत आरक्षित हैं और 49.5% जातिगत आरक्षण लागू है। ऐसे में यदि यह सीमा और बढ़ती है तो सामान्य वर्ग के छात्रों और नौकरीपेशा युवाओं के लिए अवसरों में कटौती हो सकती है। यह एक बड़ा सामाजिक-राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।

 

अन्य खबरें

Related Posts