By: Hindustan Reality
Himachal News Today | हिमाचल प्रदेश सरकार ने भर्ती परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक जैसे घोटालों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने घोषणा की कि कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसमें नकल करने, नकल में मदद करने और परीक्षा के पेपर लीक करने में शामिल व्यक्तियों के लिए तीन साल तक की सज़ा का प्रावधान है। यह विधेयक आगामी मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में पेश किया जाएगा। यह पहल राज्य के हमीरपुर स्थित कर्मचारी चयन आयोग जैसे संस्थानों में हाल ही में हुई पेपर लीक की घटनाओं के जवाब में है।
इस विधेयक का उद्देश्य चयन परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ाना और युवाओं के भविष्य को खतरे में डालने वालों पर सख्त कार्रवाई करना है। पिछले कुछ वर्षों में, राज्य भर में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक और संगठित नकल के कई मामले सामने आए हैं, जिससे अनगिनत उम्मीदवारों के भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। सरकार का यह निर्णय युवाओं और शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
यदि आप परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होते हैं, तो आपको एक और अवसर दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने कक्षा 5 और 8 के लिए नियमित परीक्षाओं को सुगम बनाने हेतु निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 में संशोधन किया है। राज्यपाल की स्वीकृति के बाद, सोमवार को निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2025 का अद्यतन संस्करण राजपत्र में प्रकाशित किया गया। नई अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई बच्चा कक्षा 5 और 8 में नियमित मूल्यांकन के दौरान परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होता है, तो उसे अतिरिक्त शैक्षिक सहायता प्रदान की जाएगी और उसे दोबारा परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। यदि वह दोबारा अनुत्तीर्ण होता है, तो उसे उसकी वर्तमान कक्षा में ही रखा जाएगा।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2025 भारत में 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करता है। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि इस अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी। निजी संस्थानों को अपनी 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से वंचित और कमजोर वर्गों के बच्चों के लिए आवंटित करनी होंगी। इस अधिनियम का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त हो।