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Wednesday, 27 August, 2025

Supreme Court verdict: युवक को बचाने आई पीड़िता, कोर्ट का दिल पिघला

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Supreme Court verdict: कभी-कभी न्यायालय को नियमों से ऊपर उठकर इंसानियत का रास्ता चुनना पड़ता है। ऐसा ही एक अद्भुत फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है, जिसमें नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी युवक को पीड़िता के आग्रह पर रिहा किया गया। पीड़िता ने बताया कि वह युवक से प्यार करती है और दोनों ने शादी कर ली है। इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने परिवार को टूटने से बचाते हुए विशेष शक्तियों का प्रयोग कर युवक को रिहा किया।

मामला क्या है?

पश्चिम बंगाल का यह मामला 2018 का है, जहां 14 साल की लड़की से 25 वर्षीय युवक ने दुष्कर्म किया था। निचली अदालत ने पोक्सो एक्ट के तहत युवक को 20 साल कैद की सजा सुनाई। लेकिन बाद में लड़की ने कोर्ट को बताया कि वह युवक से प्यार करती है, दोनों की शादी हो चुकी है और उनकी एक बच्ची भी है। उसने अपने पति को बचाने के लिए कोर्ट में पैरवी की।

Supreme Court verdict: कोर्ट का फैसला और बदलाव

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया कि युवक दोषी है और कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला सही था। फिर भी, पीड़िता और उसके परिवार की भलाई को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 की विशेष शक्तियों का उपयोग कर युवक को रिहा किया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में न्याय केवल कानून की पंक्तियों तक सीमित नहीं रह सकता।

केस के महत्वपूर्ण तथ्य

  • 2018 में 14 वर्षीय लड़की के साथ दुष्कर्म हुआ।
  • युवक को 20 साल की सजा मिली थी।
  • लड़की ने कोर्ट में कहा कि वह युवक से प्रेम करती है।
  • दोनों ने शादी कर ली और उनकी एक बच्ची है।
  • कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत युवक को रिहा किया।

Supreme Court verdict: दुष्कर्म के दोषी की रिहाई कैसे हुई?

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि आरोपी दोषी है, लेकिन परिवार के टूटने और पीड़िता के मानसिक तनाव को ध्यान में रखते हुए उसने युवक को रिहा करने का निर्णय लिया। कोर्ट ने बताया कि पीड़िता और उसके परिवार को पहले ही काफी कष्ट झेलना पड़ा है। जेल भेजने से स्थिति और बिगड़ेगी। इसलिए, समाज और न्याय व्यवस्था ने मिलकर एक ऐसा फैसला दिया जो इंसानियत की जीत है।

सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति का रोल

सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया, जिसने रिपोर्ट दी कि युवक को सजा मिलने पर पूरा परिवार टूट जाएगा। इस आधार पर कोर्ट ने पुनर्वास के आदेश देते हुए अभियुक्त की सजा माफ कर दी।

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